प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार पत्रकार महेश लांगा की अंतरिम जमानत याचिका को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल के बीच तीखी और हाई-प्रोफाइल बहस देखने को मिली। यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोपों से जुड़ा है, जिसने पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।
बहस के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता लगातार अपनी दलीलें रख रहे थे, जिसमें उन्होंने लांगा पर गंभीर आरोप लगाए। इसी बीच, मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने हस्तक्षेप करते हुए अंतरिम जमानत देने का निर्देश दिया, जिससे कोर्ट रूम में गरमा-गरमी और बढ़ गई।
क्या है महेश लांगा का पूरा मामला?
पत्रकार महेश लांगा इस समय मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद हैं। उनके खिलाफ ईडी ने अहमदाबाद पुलिस की दर्ज प्राथमिकी (FIR) के आधार पर कार्रवाई शुरू की थी। लांगा पर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, कथित वसूली (Extortion) और करोड़ों रुपये की हेराफेरी जैसे गंभीर आरोप हैं।
पहली गिरफ्तारी: लांगा को सबसे पहले अक्टूबर 2024 में एक जीएसटी धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था।
ईडी की गिरफ्तारी: इसके बाद, 25 फरवरी 2025 को ईडी ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार दिखाया।
सुप्रीम कोर्ट में दलीलें और गरमा-गरमी
अदालत में एसजी तुषार मेहता ने दावा किया कि लांगा अपने पत्रकारिता के पद का दुरुपयोग कर रहे थे।
एसजी तुषार मेहता की दलीलें:
"एक पत्रकार को पैसे वसूलते हुए पाया गया है। हम इस संबंध में एक अतिरिक्त काउंटर दाखिल करना चाहते हैं। वे कहते हैं कि अगर पैसे नहीं दिए गए तो [आरोपी के खिलाफ] कुछ छाप देंगे।" "यहां पत्रकार के खिलाफ 9 गवाह हैं।" (मेहता ने बहस जारी रखने की मांग की)।
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल का जवाब:
"मैंने उनके जवाब पर काउंटर दाखिल किया है। अब वे एक और अतिरिक्त काउंटर दाखिल करना चाहते हैं। आपको क्या अधिकार है? वे कहते हैं 68 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी है, जबकि यह 68 लाख भी नहीं है।" (सिब्बल ने ईडी के अतिरिक्त काउंटर दाखिल करने का विरोध किया)।
CJI ने इन शर्तों पर दी अंतरिम जमानत
दोनों पक्षों की तीखी बहस के बीच, मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने मेहता की दलीलें पूरी होने से पहले ही महेश लांगा को अंतरिम जमानत देने का फैसला सुनाया।
सीजेआई कांत द्वारा लगाई गई मुख्य शर्तें:
जमानती बॉन्ड: पीएमएलए कोर्ट की संतुष्टि के अनुसार, जमानत के लिए बॉन्ड जमा करें।
दैनिक सुनवाई: विशेष अदालत रोजाना मामले की सुनवाई करे और 9 गवाहों के बयान दर्ज करे।
ट्रायल में सहयोग: याचिकाकर्ता ट्रायल में पूरी तरह सहयोग करें और क्वैशिंग की अर्जी लंबित होने का हवाला देकर स्थगन की मांग न करें।
प्रकाशन प्रतिबंध: याचिकाकर्ता अपने खिलाफ चल रहे आरोपों से संबंधित कोई लेख या रिपोर्ट प्रकाशित या लिखित रूप में न दें।
स्थिति रिपोर्ट: ईडी उपरोक्त शर्तों के पालन पर एक स्थिति रिपोर्ट (Status Report) दाखिल करे।
अगली सुनवाई: मामले को अगली सुनवाई के लिए 6 जनवरी 2026 को सूचीबद्ध किया जाए।
अंत तक, एसजी तुषार मेहता अपनी दलीलों को पूरा करने का मौका न मिलने पर असंतुष्ट दिखे और कोर्ट रूम में जोर देकर कहा, "पत्रकार पैसे वसूल रहे हैं!"