मुंबई, 08 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। नेपाल में सोमवार को काठमांडू सहित कई शहरों में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया। इन प्रदर्शनों में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा घायल हुए हैं। यह आंदोलन खासतौर पर जेनरेशन-जेड यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी ने शुरू किया है, जो सोशल मीडिया बैन और नेताओं के परिवारों की आलीशान जिंदगी से नाराज है। सरकार ने हाल ही में 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया है, जिसमें फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम शामिल हैं। प्रशासन का तर्क है कि फर्जी अकाउंट से अफवाहें और नफरत फैल रही थीं और कंपनियों को रजिस्ट्रेशन के लिए कहा गया था। लेकिन कंपनियों ने नेपाल में लोकल ऑफिस खोलने और डेटा शेयर करने जैसी सख्त शर्तें मानने से इनकार कर दिया। इसी वजह से उन्हें बंद कर दिया गया। इसके उलट, टिकटॉक ने सरकार की शर्तें मान लीं और रजिस्ट्रेशन करवा लिया, इसलिए वह बैन से बच गया।
विरोध प्रदर्शन में शामिल ज्यादातर युवा स्कूल-कॉलेज की यूनिफॉर्म पहनकर, हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर सड़कों पर उतरे। इनका किसी राजनीतिक दल से सीधा संबंध नहीं है, बल्कि इसे युवाओं की स्वतःस्फूर्त बगावत माना जा रहा है। आंदोलन को और ताकत तब मिली जब सोशल मीडिया पर नेताओं और उनके बच्चों की शानो-शौकत भरी जिंदगी के वीडियो वायरल होने लगे। इससे नाराजगी और बढ़ गई, क्योंकि नेपाल की प्रति व्यक्ति आय केवल 1,300 डॉलर सालाना है। इन प्रदर्शनों को हवा देने में स्थानीय NGO ‘हामी नेपाल’ की अहम भूमिका रही, जिसने सोशल मीडिया और डिस्कॉर्ड जैसे प्लेटफॉर्म पर छात्रों को जुटाने की अपील की। संगठन ने युवाओं को निर्देश दिए कि वे किताबों और कॉलेज बैग के साथ विरोध में शामिल हों और स्कूल की वर्दी पहनकर आएं। काठमांडू प्रशासन से बाकायदा अनुमति लेकर इस NGO ने ‘यूथ्स अगेंस्ट करप्शन’ का बैनर भी जारी किया।