झांसी न्यूज डेस्क: जिले में औद्योगिक विकास के दावे अब तक केवल कागजों तक सीमित नजर आ रहे हैं। जुलाई 2022 में हुए इन्वेस्टर्स समिट में 407 कंपनियों ने कुल 2.28 लाख करोड़ रुपये निवेश करने के करार किए थे, लेकिन जब वास्तविक निवेश की बात आई तो अधिकांश कंपनियां पीछे हट गईं। अब तक केवल 83 कंपनियों ने करीब 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया है, जबकि 100 कंपनियां अभी कार्य शुरू करने की प्रक्रिया में हैं। वहीं, 227 कंपनियों की परियोजनाएं अब तक जमीन पर नहीं उतर पाई हैं, जिससे औद्योगिक विकास के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इन कंपनियों के प्रोजेक्ट शुरू न होने के पीछे कई वजहें सामने आई हैं। कुछ कंपनियों को अब तक जमीन आवंटित नहीं हो पाई, जबकि कई निवेशकों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, कुछ कंपनियां नीतिगत जटिलताओं और अन्य प्रशासनिक अड़चनों के कारण अटकी हुई हैं। बड़ी-बड़ी घोषणाओं के बावजूद, निवेशकों के सामने आने वाली इन चुनौतियों को दूर करने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में निवेश को गति मिली है। बुंदेलखंड की जलवायु को ध्यान में रखते हुए सौर ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी आई है। बबीना में फोर्स पार्टन ने 1200 करोड़ रुपये की लागत से 600 मेगावाट का सोलर प्लांट स्थापित किया है, वहीं टहरौली में एम प्लस कंपनी ने 300 करोड़ रुपये से 50 एमवीए क्षमता का प्लांट लगाया है। इसके अलावा, अस्ता गुरसराय में सनसोर्स एनर्जी ने भी सौर ऊर्जा में निवेश किया है। वहीं, बबीना में एक बड़े अस्पताल और ग्वालियर-शिवपुरी रोड पर ‘नमो होम्स’ नाम की रिहायशी परियोजना पर भी काम जारी है। लेकिन अधिकांश निवेश अभी भी सरकारी लालफीताशाही में अटका हुआ है, जिससे उद्योगों के वास्तविक विकास की रफ्तार धीमी पड़ गई है।