मुंबई, 02 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान हाईकोर्ट ने पिता की मृत्यु के बाद उनकी दिव्यांग बेटी को पारिवारिक पेंशन देने के आदेश दिए हैं। जस्टिस सुदेश बंसल की अदालत ने कार्मिक विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि वह 1 मई से याचिकाकर्ता की पारिवारिक पेंशन शुरू करें। दरअसल, याचिकाकर्ता सीमा हार्डी सिजोफ्रेनिया (मानसिक रोग) नामक बीमारी से 40 प्रतिशत से ज्यादा ग्रसित हैं। उनके पिता सचिवालय से वरिष्ठ लिपिक के पद से साल 1987 में रिटायर हुए थे। 15 सितम्बर 2008 को उनका निधन हो गया। याचिकाकर्ता की मां की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। ऐसे में याचिकाकर्ता ने स्वयं के लिए पारिवारिक पेंशन का कार्मिक विभाग में आवेदन किया। लेकिन आवेदन के साथ मानसिक दिव्यांगता का प्रमाण नहीं होने से विभाग ने 23 जुलाई 2010 को उसका आवेदन खारिज कर दिया।
वहीं, अधिवक्ता पूर्वी माथुर ने बताया कि अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राजस्थान सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स 1996 के रूल 67 के तहत कोई भी दिव्यांग पुत्र अथवा पुत्री अपने माता-पिता की पारिवारिक पेंशन पाने के हकदार हैं। 62 वर्षीय याचिकाकर्ता अविवाहित है औऱ अपने भाई के साथ रहती है। उसका अपना आजीविका का कोई साधन नहीं हैं। वह सिजोफ्रेनिया बीमारी से 40 प्रतिशत तक पीड़ित हैं। ऐसे में वह पारिवारिक पेशन पाने की हकदार हैं। सुनवाई के दौरान सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग की ओर से पेश हुए एएजी कपिल प्रकाश माथुर ने कोर्ट को बताया कि दिव्यांगों के लिए विभाग अलग से पेंशन भी जारी करता हैं। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता की पारिवारिक पेंशन शुरू करने के साथ ही दिव्यांगता पेंशन भी शुरू करने आदेश दिए। अदालत ने कार्मिक विभाग को छूट दी है कि वह चाहे तो याचिकाकर्ता के मेडिकल सर्टिफिकेट का अपने स्तर पर सत्यापन करा सकता हैं। वहीं कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा) को निर्देश दिए है कि वह याचिकाकर्ता की फैमली पेंशन और दिव्यांगता पेंशन शुरू कराने के लिए जो भी औपचारिकताएं है, उन्हें पूरा करने में उसकी मदद करें।