झांसी न्यूज डेस्क: झांसी में बिजली विभाग के निजीकरण का विरोध अब तेज हो गया है। आंदोलनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल लखनऊ पहुंचा और यहां ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के आवास पर प्रदर्शन करते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपा। आंदोलनकारियों ने इसे सरकार की नापाक कोशिश बताया और कहा कि निजीकरण से बुंदेलखंड की स्थिति और खराब हो जाएगी।
बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय और रजनीश श्रीवास्तव ने मिलकर ऊर्जा मंत्री व मुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र सौंपा। इस पत्र में उन्होंने निजीकरण के कई गंभीर दुष्परिणाम गिनाए जैसे—बिजली महंगी होना, संविदा पद खत्म होना, कर्मचारियों की छंटनी, आरक्षण का खत्म होना और विभागीय संपत्तियों की सस्ते दामों पर बिक्री।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत सरकार ने 2010 से बुंदेलखंड को 500 मेगावॉट बिजली मुफ्त में दी है, लेकिन फिर भी वहां सिर्फ 8 से 10 घंटे ही बिजली दी जा रही है। साथ ही जो सब्सिडी बुंदेलखंड के लिए तय थी, वह राज्य सरकारें हजम कर रही हैं। आंदोलनकारियों ने इसे बुंदेलखंड के साथ अन्याय बताया।
उन्होंने पारीछा थर्मल पावर प्रोजेक्ट में बनने वाली 1140 मेगावॉट बिजली बुंदेलखंड को ही देने की मांग की और कहा कि इसके लिए एक अलग ग्रिड बनाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 15 दिन में सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं लेती, तो पूरे बुंदेलखंड में बड़े स्तर पर आंदोलन होगा।