मुंबई, 19 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर 237 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इन याचिकाओं में से 20 में कानून पर रोक लगाने की मांग की गई है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय मांगा। कोर्ट ने उन्हें 3 हफ्ते का समय दिया है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह एक्ट किसी की भी सिटिजनशिप नहीं छीन रहा है। 2014 से पहले देश में आए लोगों को ही नागरिकता दी जा रही है। उसके बाद आए किसी नए शरणार्थी को नहीं। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र के जवाब देने तक नई नागरिकता नहीं दी जाए। ऐसा कुछ होता है तो हम फिर कोर्ट आएंगे।
इस पर जजों की बेंच ने कहा कि हम यही हैं। केंद्र सरकार को स्टे पर जवाब देने के लिए 2 अप्रैल तक का समय दिया जाता है। उस पर 8 अप्रैल तक एफिडेविट फाइल कर सकते हैं। इस तरह हम 9 अप्रैल को सुनवाई से पहले जरूरी बातों को सुन लेंगे। असम और त्रिपुरा से जुड़ी याचिकाओं में अलग नोट दिया जाए। आपको बता दें, केंद्र ने नागरिकता संशोधन कानून लागू होने का नोटिफिकेशन 11 मार्च को जारी किया था। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। इसके खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने याचिका लगाई है।