रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से जारी भीषण युद्ध के बीच एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है, जो इस संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक संभावित पहल बन सकती है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने घोषणा की है कि उनकी सरकार का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल तुर्किये के इस्तांबुल शहर में रूस के साथ होने वाली वार्ता में भाग लेगा। इस प्रतिनिधिमंडल का सबसे बड़ा उद्देश्य युद्धविराम हासिल करना है।
इस बहुप्रतीक्षित वार्ता का नेतृत्व यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोव करेंगे, और इसमें सैन्य तथा खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने खुद गुरुवार को इस बात की पुष्टि की और इसे शांति की दिशा में एक अहम क़दम बताया।
तुर्की की भूमिका अहम
इस पूरे घटनाक्रम में तुर्की एक मध्यस्थ के तौर पर उभरा है। जर्मनी की समाचार एजेंसी DPA ने ‘DW न्यूज’ की रिपोर्ट के हवाले से जानकारी दी है कि तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इस वार्ता की व्यवस्था की है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन लंबे समय से रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की वकालत करते रहे हैं और अब उनके प्रयासों से यह पहल साकार होती दिख रही है।
तुर्किये की भौगोलिक स्थिति, राजनीतिक संतुलन और कूटनीतिक छवि ने उसे इस संकट में एक विश्वसनीय संवाददाता बना दिया है। तुर्की न सिर्फ रूस से व्यापारिक और सैन्य संबंध रखता है, बल्कि नाटो का सदस्य होने के कारण पश्चिमी देशों की नीतियों के भी करीब है।
जेलेंस्की ने X (ट्विटर) पर क्या कहा?
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर अपनी भावनाएं और वार्ता की गंभीरता साझा की। उन्होंने तुर्किये और राष्ट्रपति एर्दोगन को धन्यवाद देते हुए लिखा:
"मैं यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के समर्थन के लिए राष्ट्रपति @RTErdogan, उनकी टीम और तुर्किये के लोगों को धन्यवाद देता हूं।"
जेलेंस्की ने आगे बताया कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि क्रीमिया यूक्रेन का हिस्सा है, जो यूक्रेन की प्रमुख मांगों में से एक रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि तुर्की यूक्रेन के स्टैंड को गंभीरता से ले रहा है।
उन्होंने बताया कि यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकारी केवल औपचारिकता के लिए नहीं आए हैं, बल्कि वे इस मिशन को लेकर पूरी गंभीरता और मजबूती के साथ उपस्थित हैं। टीम में शामिल हैं:
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विदेश मंत्री
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राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख
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रक्षा मंत्री
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जनरल स्टाफ के प्रमुख
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यूक्रेन की सुरक्षा सेवा के प्रमुख
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सभी प्रमुख खुफिया एजेंसियों के प्रतिनिधि
इससे पता चलता है कि यूक्रेन इस वार्ता को केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मान रहा है।
रूस की मंशा पर सवाल
हालांकि, यूक्रेनी राष्ट्रपति ने इस वार्ता को लेकर रूस की नीयत पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि रूस इस प्रक्रिया को गंभीरता से नहीं ले रहा क्योंकि उसकी मंशा युद्ध समाप्त करने की नहीं है। जेलेंस्की के अनुसार, रूस केवल समय खींचना चाहता है ताकि उसे रणनीतिक बढ़त मिलती रहे।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही रूस की मंशा संदिग्ध हो, लेकिन यूक्रेन अपने सहयोगियों और खासकर तुर्की और अमेरिका के समर्थन में इस वार्ता को आगे बढ़ा रहा है।
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन का नाम लेते हुए कहा कि दोनों के सम्मान में और शांति प्रयासों की उम्मीद में यूक्रेन वार्ता में भाग ले रहा है।
वार्ता का मुख्य एजेंडा: युद्धविराम
यूक्रेन ने इस वार्ता में भागीदारी के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य स्पष्ट किया है – युद्धविराम (Ceasefire)। जेलेंस्की ने इसे प्रतिनिधिमंडल का मुख्य जनादेश बताया है।
वर्तमान हालात में जब रूस लगातार मिसाइल हमले कर रहा है और यूक्रेन पूर्वी मोर्चों पर जवाबी कार्रवाई में व्यस्त है, ऐसे समय में युद्धविराम की दिशा में कोई भी पहल लाखों नागरिकों की जान बचाने का जरिया बन सकती है।
निष्कर्ष: उम्मीद की किरण या राजनीतिक छलावा?
रूस-यूक्रेन युद्ध को दो साल से अधिक का समय हो चुका है, जिसमें हजारों लोग जान गंवा चुके हैं और करोड़ों लोग बेघर हुए हैं। ऐसे में यह वार्ता एक नई उम्मीद जरूर जगाती है, लेकिन जेलेंस्की द्वारा जताया गया संशय यह भी दिखाता है कि विश्वास की खाई अभी भी बहुत गहरी है।
क्या इस्तांबुल की यह वार्ता युद्ध को विराम दे पाएगी? क्या रूस वास्तव में शांति के लिए तैयार है? या यह एक और राजनयिक नाटक साबित होगा? इसका जवाब आने वाले हफ्तों में सामने आएगा।