झांसी न्यूज डेस्क: झांसी के बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (BIET) में एक अहम शोध हुआ है, जो पानी की पाइपलाइनों में लीकेज का पता लगाने और उसे रोकने में मददगार साबित हो सकता है। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अभय कुमार वर्मा और उनकी छात्रों की टीम ने यह स्टडी जल निगम की बराठा बेसिन परियोजना पर की है, जहां से मेडिकल क्षेत्र तक पानी की आपूर्ति होती है। यह अध्ययन पाइपलाइन में दबाव और लीकेज को लेकर किया गया है।
शुरुआती चरण में प्रोफेसर वर्मा की टीम ने एक अमेरिकी सॉफ़्टवेयर EPANET की मदद से इस पाइपलाइन का विश्लेषण किया। EPANET सॉफ़्टवेयर जल आपूर्ति प्रणाली में दबाव, प्रवाह और गुणवत्ता का विश्लेषण करने में सक्षम है और इसे अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) ने विकसित किया है। इसके जरिये पानी के बहाव और गुणवत्ता की गणना की जाती है। जब इस सॉफ़्टवेयर से मिले नतीजों की मैन्युअली जांच की गई, तो दोनों परिणाम लगभग एक जैसे निकले, जो इस शोध की सफलता को दर्शाता है।
प्रोफेसर वर्मा ने बताया कि बुंदेलखंड की जटिल भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए पाइपलाइन का दबाव बनाए रखना और लीकेज को रोकना किसी चुनौती से कम नहीं है। उनकी टीम ने बराठा बेसिन परियोजना के अंतर्गत पाइप नेटवर्क में पंप हेड-फ्लो वक्र का उपयोग करते हुए एक मॉडल तैयार किया। इस मॉडल के ज़रिए पाइपलाइन के भीतर पानी के दबाव और उसके असर का अध्ययन किया गया, और परिणाम काफी सकारात्मक रहे।
इस अध्ययन का फायदा भविष्य में विभिन्न पेयजल योजनाओं और जल वितरण परियोजनाओं में उठाया जा सकेगा। प्रोफेसर वर्मा ने कहा कि टीम के प्रयासों से अब इस मॉडल और सॉफ़्टवेयर को और बेहतर बनाकर अन्य इलाकों में भी लागू किया जा सकता है। यह शोध पानी के संरक्षण और स्मार्ट जल प्रबंधन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।