झांसी न्यूज डेस्क: झांसी जेल से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक बंदी की आत्महत्या के पीछे जेल में पैसों की वसूली का घिनौना खेल उजागर हुआ है। न्यायिक जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार, कैदियों से हर महीने वसूले जाने वाले पैसों का हिस्सा न देने पर जेल अधिकारियों ने एक बंदी को बेरहमी से पीटा था, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली। चौंकाने वाली बात यह है कि यह रिपोर्ट करीब नौ महीने पहले सौंपी जा चुकी है, लेकिन अब तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
यह पूरा मामला थाना मऊरानीपुर के टिकरी गांव निवासी करन कुशवाहा की मौत से जुड़ा है, जो अपने पिता की हत्या के आरोप में झांसी जेल में बंद था। 30 सितंबर 2024 को उसने बैरक के बाहर गमछे से फंदा लगाकर जान दे दी थी। जांच में सामने आया कि करन जेल की बैरक नंबर 4A का राइटर था और उसे इस पद के बदले में जेल अफसरों को हर महीने मोटी रकम देनी पड़ती थी। मगर उसने वह पैसा अपने वकील को दे दिया था, जिससे जेल अफसर नाराज हो गए और उसे बुरी तरह पीटा गया।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन जेलर कस्तूरी लाल गुप्ता, डिप्टी जेलर जगवीर सिंह चौहान और रामनाथ मिश्रा इस पिटाई में शामिल थे। पिटाई के अगले ही दिन करन ने आत्महत्या कर ली। समिति ने कहा कि जेल में भ्रष्टाचार और धन उगाही की गंध साफ महसूस होती है। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने इस रिपोर्ट के आधार पर डीजी जेल को पत्र भेजकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
इतना ही नहीं, समिति ने सीसीटीवी फुटेज और सुसाइड नोट की जांच को लेकर जेल प्रशासन की लापरवाही भी उजागर की है। समिति ने दो बार फुटेज मांगे, मगर जेल अधिकारियों ने असंबंधित वीडियो भेजे। रिपोर्ट में लिखा गया — “झांसी जेल में कुछ तो सड़न है।” इसके बावजूद नौ महीने बीत चुके हैं और अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।