मुंबई, 03 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को देशभर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों के मामले पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वह सरकारी दफ्तरों और इमारतों के परिसरों में कुत्तों को खाना खिलाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि इस संबंध में आदेश एक-दो दिन में अपलोड कर दिया जाएगा। साथ ही, कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से फिलहाल राहत दे दी है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने बताया कि दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव को छोड़कर बाकी सभी राज्यों ने अपने हलफनामे दाखिल कर दिए हैं। इसलिए अब मुख्य सचिवों की व्यक्तिगत पेशी की जरूरत नहीं है। हालांकि, अगर किसी राज्य के हलफनामे में कोई कमी पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी को कोर्ट में पेश होना होगा। इस मामले पर अब अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी। पिछली सुनवाई में, 31 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को कोर्ट में बुलाया था, क्योंकि उन्होंने पशु जन्म नियंत्रण (एनिमल बर्थ कंट्रोल) नियमों के अनुपालन की रिपोर्ट दाखिल नहीं की थी। उस दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुख्य सचिवों को आदेश का सम्मान करना चाहिए और रिपोर्ट दाखिल करने में देरी अस्वीकार्य है।
इससे पहले, 27 अक्टूबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के रवैये पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही अनुपालन हलफनामा दायर किया है, जबकि बाकी राज्यों ने यह नहीं बताया कि उन्होंने एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों के तहत क्या कदम उठाए हैं। 22 अगस्त को हुई एक और सुनवाई में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी जगह वापस छोड़ा जाए, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। हालांकि, रेबीज से संक्रमित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को शेल्टर होम में ही रखा जाए। कोर्ट ने कहा था कि इस मुद्दे पर देशभर में एक समान नीति बननी चाहिए ताकि अलग-अलग राज्यों में भ्रम की स्थिति न बने। जस्टिस विक्रम नाथ ने टिप्पणी की थी कि आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पॉलिसी जरूरी है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाया है और कहा कि इस विषय पर चल रहे सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किए जाएं।