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सुशील शिंदे ने कहा, गृहमंत्री रहते कश्मीर जाने से डरता था, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Tuesday, September 10, 2024

मुंबई, 10 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बीच मनमोहन सरकार में गृह मंत्री रहे सुशील शिंदे ने दिल्ली में कहा, "जब मैं होम मिनिस्टर था, उससे पहले भी मैं उनके पास (विजय धर) जाता था और एडवाइज भी मांगता था। उन्होंने मुझे ऐसा असली एडवाइज दिया कि सुशील तू इधर-उधर मत भटक। तू लालचौक पर जाकर वहां भाषण कर, कुछ लोगों से मिल और डल लेक में घूमते चलो। वो अडवाइज से मुझे बहुत सारी पब्लिसिटी मिली। लोग सोचते थे कि एक ऐसा होम मिनिस्टर है जो बिना डर के वो जाता है, लेकिन मेरी थी वो किसको बताऊं।" शिंदे के इतना कहते ही समारोह स्थल जोरदार ठहाकों से गूंज गया। इसके बाद कांग्रेस नेता ने कहा, "सच्ची है लेकिन हंसाने के लिए मैंने बोला लेकिन एक्स पुलिसवाला ऐसा बोल नहीं सकता है।" शिंदे दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में अपनी बुक 'फाइव डिकेड्स ऑफ पॉलिटिक्स' के लॉन्चिंग प्रोग्राम में बोल रहे थे। इस दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह और शिक्षाविद विजय धर भी मौजूद थे। धर शिंदे के एडवाइजर भी रह चुके हैं।

उधर, शिंदे के बयान पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, कांग्रेस की सरकार में देश के गृहमंत्री भी कश्मीर जाने से डरते थे। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश की सुरक्षा मजबूत हुई है। अब विपक्ष के नेता भी बिना किसी डर के जम्मू-कश्मीर में बर्फ से खेलते हैं। दरअसल, 7 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा, कश्मीर ने आतंकवाद से बहुत कुछ झेला है। कश्मीर में ऐसी सरकारें थीं जिन्होंने आतंकवाद के प्रति आंखें मूंद ली थीं। ऐसे लोग हैं जो शांति के समय यहां आकर मुख्यमंत्री बन जाते थे और जब आतंकवाद होता था तो वे दिल्ली जाकर कॉफी बार में कॉफी पीते थे।

आपको बता दें, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के नेता उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद 19 अगस्त को पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार बनी तो हम जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35A बहाल करेंगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में 12 गारंटियां दी हैं। जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा और साल 2000 में तत्कालीन विधानसभा द्वारा पारित स्वायत्तता प्रस्ताव का क्रियान्वयन शामिल है। साथ ही PSA खत्म कर राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का भी वादा किया गया है। भाजपा ने घोषणा पत्र को राष्ट्र विरोधी बताया है।


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