मुंबई, 25 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता स्थगित करने पर जल शक्ति मंत्रालय ने इसे 3 चरणों में पूरा करने का फैसला लिया। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बताया कि इसे लेकर 3 तरह की रणनीति बना रहे हैं। पाकिस्तान को एक बूंद पानी नहीं मिलेगा। समझौते को लेकर बैठक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर पर हुई। इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर और जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल शामिल हुए थे। हालांकि, 3 चरणों और 3 तरह की रणनीति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। आपको बता दें, पहलगाम आतंकी हमले के बाद 23 अप्रैल को केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला लिया था। गुरुवार देर रात भारत की तरफ से पाकिस्तान को चिठ्ठी भेजकर इसकी आधिकारिक जानकारी दे दी गई। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले 26 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में आज कहा, भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, हम कभी भी सिंधु जल समझौते के पक्ष में नहीं रहे हैं। हमारा हमेशा से मानना रहा है कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे गलत दस्तावेज है। इससे कश्मीर को नुकसान है। भारत में जलशक्ति सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तानी जल संसाधन मंत्रालय के सचिव मुर्तजा को पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि यह संधि अच्छे संदर्भ में की गई थी, लेकिन अच्छे रिश्तों के बिना इसे बनाए नहीं रखा जा सकता।
वहीं, पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि के खत्म होने को एक्ट ऑफ वॉर बताया है। पाकिस्तानी सरकार ने कहा- अगर भारत सिंधु जल समझौते को रोकता है तो इसे एक्ट ऑफ वॉर यानी जंग की तरह माना जाएगा। पहलगाम के नजदीक बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकियों ने 26 टूरिस्ट की हत्या कर दी थी। इनमें एक नेपाली नागरिक शामिल था। 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इसके बाद भारत ने जल संधि स्थगित करने सहित 5 बड़े फैसले लिए थे। लेटर में लिखा है की, भारत सरकार की तरफ से पाकिस्तान सरकार को नोटिस भेजा जा रहा है। जिसमें संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत सिंधु जल संधि 1960 में संशोधन की मांग की गई है। इस लेटर में उन मुद्दों का हवाला दिया गया है जिसके चलते समझौते पर दोबारा विचार करने की आवश्यकता है। संधि के बाद से अब तक जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है। ऐसे में क्लीन एनर्जी डेवलेपमेंट में तेजी लाने के लिए कुछ बदलाव करने जरूरी हो जाते हैं। किसी भी समझौते में सबसे जरूरी होता है कि उस संधि का सम्मान किया जाए। इसके बजाय पाकिस्तान की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद जारी है। सुरक्षा से जुड़ी अनिश्चितताओं ने संधि के तहत भारत के अपने अधिकारों को बाधित किया है। इसके अलावा भारत के अनुरोध पर पाकिस्तान ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। इस प्रकार उसने संधि का उल्लंघन किया है। इसलिए भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि सिंधु जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाता है।
तो वहीं, इस्लामाबाद में नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NCS) की 24 अप्रैल को बैठक हुई। इसमें पाकिस्तान ने दोनों देशों के बीच सभी द्विपक्षीय समझौते स्थगित कर दिए। इसमें 1972 में हुआ शिमला समझौता भी शामिल है। पाकिस्तान ने कहा कि अगर भारत सिंधु जल समझौते को रोकता है तो इसे एक्ट ऑफ वॉर यानी जंग की तरह माना जाएगा। पाकिस्तान ने कहा, पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे का सभी क्षेत्रों में मजबूती से जवाब दिया जाएगा। हम किसी भी आतंकवादी गतिविधि की निंदा करते हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक NCS की बैठक में कहा गया कि भारत में वक्फ विधेयक को जबरन पारित कराया गया, यह मुसलमानों को हाशिए पर डालने का प्रयास है।