पितृपक्ष भी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान और त्योहार है, जिसमें पितरों और पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस दौरान पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं और भोग-पिंडदान आदि ग्रहण करती हैं। मान्यता है कि उनके आशीर्वाद से परिवार का कल्याण होता है।
ऐसा कहा जाता है कि जब पितर और पितर धरती पर आते हैं तो खुश या नाराज होने के संकेत देते हैं। यह पितृसत्ता में विशेष रूप से सत्य है। इस बार पितृपक्ष 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2024 तक है। आइए जानते हैं पितृत्व के किन संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए?
पितृपक्ष से पहले शुभ कार्यों में रुकावट
हिंदू धर्म में माना जाता है कि पितृ दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियां आती हैं। इनमें से एक समस्या शुभ कार्यों में बाधा बन सकती है। पितृ पक्ष से पहले शुभ कार्यों में रुकावट यह संकेत दे सकती है कि पितृ खुश नहीं हैं और पितृ दोष प्रबल है या घर में कोई नकारात्मक ऊर्जा है।
घर में लाल चींटियों का दिखना
पितृपक्ष के दौरान घर में अचानक लाल चींटियों का आना धार्मिक ग्रंथों में अशुभ संकेत माना गया है। इनका दिखना पितृ दोष का संकेत हो सकता है। पितृ दोष का अर्थ है पितरों का आशीर्वाद न मिलना, उनका रूठना या उनका क्रोध। यह धन हानि को बढ़ावा देता है और स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाता है।
कुत्ते का चिल्लाना
पितृपक्ष में कुत्ते का रोना पितरों का संदेश माना जाता है। यह एक संदेश हो सकता है कि पिता खुश नहीं हैं या उन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत है। अगर आपको साल के बाकी दिनों में कुत्ते के रोने की आवाज सुनाई न दे, लेकिन पितृपक्ष आते ही ऐसा होने लगे तो यह बहुत अशुभ होता है। कुत्ते का रोना किसी व्यक्ति की बीमारी या मृत्यु का संकेत देता है।
तुलसी का सूखना
पितृ पक्ष में तुलसी का मुरझाना अधिक चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि इस दौरान पितरों की पूजा की जाती है। यहां यह भी समझना जरूरी है कि तुलसी का जो पौधा साल भर हरा-भरा रहता था, वह पितृपक्ष में क्यों सूख रहा है? यदि तुलसी सूख जाए तो यह माना जा सकता है कि पितर प्रसन्न नहीं है। इसे घर में बड़ी विपत्ति का संकेत माना जाता है।
कौवों का आना
पितृपक्ष में कौवों का बार-बार चक्कर लगाना या झुंड में आना पितरों और पितरों के धरती पर आने का संकेत माना जाता है। यदि वे चुपचाप आएं और दिया हुआ खाना खाकर चले जाएं तो अच्छा माना जाता है। साथ ही वे कौवे आपस में लड़कर बिना कुछ खाए उड़ जाते हैं तो यह पितरों के अप्रसन्न होने का संकेत माना जाता है।
ये सभी संकेत कई अन्य कारणों से भी हो सकते हैं, लेकिन विशेषकर पितृपक्ष में इनका दिखना महज संयोग नहीं है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह पितृ दोष या अन्य बुरी शक्तियों का संकेत हो सकता है। इसलिए अगर आपके साथ ऐसा होता है तो आपको किसी अनुभवी और योग्य पंडित की सलाह लेकर उचित उपाय करना चाहिए।