28 जून 2025 को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान सामने आया जिसने दक्षिण एशिया की कूटनीतिक हलचलों को अचानक गर्मा दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि भारत और पाकिस्तान आपसी तनाव और युद्ध की भाषा नहीं छोड़ते, तो अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापारिक संबंध समाप्त कर देगा। ट्रंप ने साथ ही भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर भी सख्त रुख दिखाया है, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत को अब स्पष्ट कर दिया जाएगा कि अमेरिका के साथ व्यापार करना है तो किस शर्त पर करना होगा
क्या कहा ट्रंप ने?
डोनाल्ड ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“अगर भारत और पाकिस्तान आपस में लड़ाई बंद नहीं करते, परमाणु हथियारों की धमकी देते रहेंगे, तो अमेरिका उनके साथ व्यापार नहीं करेगा। हमने भारत-पाकिस्तान युद्ध को रोका था, अब अगर फिर से तनाव बढ़ा तो हम कड़ा कदम उठाएंगे।”
ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर भी कहा कि:
“हम भारत के साथ व्यापार करना चाहते हैं, लेकिन एक संतुलित समझौते के साथ। हम देख रहे हैं कि कई अड़चनें हैं, और यह जरूरी नहीं कि हम उन सभी को पार कर ही लें।”
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध: वर्तमान स्थिति
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध बेहद घनिष्ठ हैं। दोनों देशों के बीच 2024 में 77.5 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ। भारत ने अमेरिका को 7346 वस्तुएं निर्यात कीं, जिनमें प्रमुख हैं:
वहीं भारत अमेरिका से कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद और एलएनजी आयात करता है, जिससे भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं।
अगर अमेरिका व्यापार बंद कर दे तो भारत पर क्या असर?
डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी कोई साधारण बयान नहीं है। अगर भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध प्रभावित होते हैं, तो इसके कई नुकसानदायक परिणाम सामने आ सकते हैं:
1. IT और सॉफ्टवेयर सेक्टर को बड़ा झटका
भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियां, जैसे TCS, Infosys, Wipro, Google, Microsoft और Amazon जैसी अमेरिकी कंपनियों के साथ काम करती हैं। अगर अमेरिका व्यापार बंद करता है, तो इन कंपनियों का काम रुक सकता है और लाखों नौकरियां जा सकती हैं।
2. फार्मास्यूटिकल उद्योग पर सीधा प्रभाव
भारत, अमेरिका को सबसे ज्यादा जेनेरिक दवाएं भेजता है। अमेरिका भारत की दवाओं का सबसे बड़ा ग्राहक है। यदि ट्रेड बंद हुआ तो भारतीय फार्मा कंपनियों को भारी नुकसान होगा।
3. रत्न-आभूषण और टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर असर
भारत से अमेरिका को हीरे-जवाहरात और रेडीमेड वस्त्रों का भारी निर्यात होता है। ये उद्योग मुख्य रूप से श्रमिक आधारित हैं और इसमें लाखों लोग लगे हैं। व्यापार रुकने से ये सभी प्रभावित होंगे।
4. रुपया कमजोर और महंगाई में इजाफा
विदेशी मुद्रा कमाने का एक बड़ा स्रोत अमेरिका है। व्यापार घटने से डॉलर की आमदनी कम होगी, जिससे भारतीय रुपया कमजोर होगा और आयात महंगा हो जाएगा, जिससे देश में महंगाई बढ़ेगी।
5. निवेश पर असर
अमेरिका भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करता है, विशेषकर स्टार्टअप्स, टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में। व्यापारिक रिश्तों में खटास से निवेश ठप हो सकता है।
🇮🇳 क्या भारत के पास विकल्प हैं?
यदि अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध टूटते हैं, तो भारत को तुरंत नए विकल्प तलाशने होंगे:
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यूरोपीय संघ (EU), जापान, ऑस्ट्रेलिया, और आसियान देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाना होगा।
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लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा ताकि विदेशों पर निर्भरता घटाई जा सके।
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नई ऊर्जा नीति बनानी होगी ताकि अमेरिका से आने वाले पेट्रोलियम उत्पादों का विकल्प खोजा जा सके।
हालांकि, इन विकल्पों को लागू करने में समय लगेगा और उस दौरान अर्थव्यवस्था पर दबाव बना रहेगा।
रणनीतिक संबंधों पर भी असर
अमेरिका और भारत का रणनीतिक गठबंधन क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है, खासकर चीन के खिलाफ। अगर व्यापारिक रिश्ते बिगड़ते हैं, तो सुरक्षा सहयोग, जैसे क्वाड (QUAD), तकनीकी साझेदारी और रक्षा उपकरणों की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप का बयान भले ही चुनावी रणनीति का हिस्सा हो, लेकिन इसके राजनयिक और आर्थिक असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत को अब बहुत सतर्कता और संतुलन के साथ कूटनीतिक पहल करनी होगी।
दोनों देशों का एक-दूसरे पर आर्थिक और रणनीतिक रूप से निर्भर होना यह बताता है कि कोई भी पक्ष संबंध तोड़ने का खतरा मोल नहीं लेगा, लेकिन यदि युद्ध और तनाव की स्थिति बनी रही तो अमेरिका का कड़ा रुख भारत के लिए आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां खड़ी कर सकता है।