झांसी न्यूज डेस्क: झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने बीज उत्पादन के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। जहां 2018 में सिर्फ 150 क्विंटल बीज का उत्पादन हुआ था, वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा बढ़कर 2700 क्विंटल तक पहुंच गया। विश्वविद्यालय ने इस बार 3000 क्विंटल बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिससे यह साफ है कि यह संस्थान बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है।
यह उपलब्धि सिर्फ मात्रा की नहीं बल्कि गुणवत्ता की भी है। विवि के वैज्ञानिक बीज उत्पादन करते समय बुंदेलखंड की जलवायु और जरूरतों को ध्यान में रखते हैं। निदेशक शोध डॉ. सुशील कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि विश्वविद्यालय ने तिलहन, दलहन, अनाज और श्री अन्न जैसी फसलों की उन्नत किस्मों के बीज तैयार किए हैं जो खासतौर पर खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमों के लिए उपयुक्त हैं।
पिछले वर्ष जिन बीजों का उत्पादन हुआ, उनमें 950 क्विंटल गेहूं, 37 क्विंटल जौ, 480 क्विंटल सरसों, 665 क्विंटल चना, 127 क्विंटल मटर, 275 क्विंटल मसूर और 200 क्विंटल मूंग शामिल हैं। खरीफ की फसलों में मूंग, उड़द, अरहर, तिल और कोदो के बीज प्रमुख रहे, जबकि रबी में चना, मसूर, मटर, सरसों, गेहूं और जौ के बीजों का जोरदार उत्पादन हुआ।
बीजों की उन्नत प्रजातियों में गेहूं की डीबीडब्ल्यू 187, 303 और 327, सरसों की गिरीराज और आरएच 725, मूंग की विराट, चना की पूसा मानव और बीजी 3062, मटर की आईपीएफडी 12-2 और मसूर की एल4717 जैसी किस्में शामिल हैं। कुलपति प्रो. एके सिंह के नेतृत्व में विश्वविद्यालय का लक्ष्य इन बीजों को खासकर बुंदेलखंड के किसानों तक पहुंचाना है, ताकि वहां की कृषि उत्पादकता को बेहतर बनाया जा सके।