झांसी न्यूज डेस्क: बिजली इंजीनियरों का निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन सोमवार को भी जारी रहा। संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले अभियंता हाइडिल स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय पर एकत्र हुए और जमकर नारेबाजी की। उन्होंने सरकार से मांग की कि बिजली कंपनियों के निजीकरण का फैसला तुरंत वापस लिया जाए, अन्यथा उनका आंदोलन और तेज होगा। दक्षिणांचल और पूर्वांचल बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया शासन स्तर पर जारी है, जिससे बिजलीकर्मियों में भारी आक्रोश है।
सोमवार को लखनऊ स्थित शक्ति भवन में कंसलटेंट कंपनी के चयन के लिए टेक्निकल बिड खोली जानी थी, लेकिन सतर्क समिति के पदाधिकारियों ने वहां पहुंचकर घेराव किया और इस प्रक्रिया का कड़ा विरोध जताया। भारी विरोध के चलते यह प्रक्रिया बाधित हो गई और सरकार को इसे रोकना पड़ा। इंजीनियरों का कहना है कि सरकार यदि जबरन निजीकरण को आगे बढ़ाएगी, तो वे भी अपने आंदोलन को और उग्र करेंगे।
इसी विरोध के तहत हाइडिल स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय पर अभियंताओं ने एकजुट होकर सभा की और सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग की। उनका कहना है कि निजीकरण से कर्मचारियों के हितों को नुकसान पहुंचेगा और आम जनता को भी महंगी बिजली मिलेगी। प्रदर्शन के दौरान सत्यदेव पाठक, सौरभ मंगला, रवि, निषिद सहित कई अभियंता मौजूद रहे।