झांसी न्यूज डेस्क: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में इलाज न मिलने के कारण एक नवजात बच्ची ने एंबुलेंस में दम तोड़ दिया। पिता सोनू परिहार ने आरोप लगाया कि बच्ची को अस्पताल में भर्ती ही नहीं किया गया। बच्ची ने सुबह 7 बजे मेडिकल कॉलेज में जन्म लिया था। जन्म के तुरंत बाद सांस लेने में परेशानी होने पर डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल भेज दिया। वहां भी वेंटिलेटर न होने की बात कहकर इलाज से मना कर दिया गया।
सोनू परिहार, जो ललितपुर जिले के मड़ावरा गांव के रहने वाले हैं, ने बताया कि उनकी पत्नी पहली बार गर्भवती हुई थीं। समय पूरा होने पर सोनू अपनी पत्नी को मड़ावरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां से उन्हें ललितपुर जिला अस्पताल और फिर झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। मेडिकल कॉलेज में उनकी पत्नी ने ऑपरेशन से बच्ची को जन्म दिया, लेकिन बच्ची को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
डॉक्टरों ने बच्ची को मेडिकल कॉलेज में भर्ती करने के बजाय झांसी जिला अस्पताल रेफर कर दिया। सोनू बच्ची को प्राइवेट एंबुलेंस से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां भी वेंटिलेटर न होने की बात कहकर इलाज करने से मना कर दिया गया। इलाज की तलाश में सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक इधर-उधर भटकते हुए बच्ची ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया।
इस पूरे घटनाक्रम में सोनू बेहद आहत हैं। अपनी पहली बच्ची को गोद में लिए सोनू अपनी किस्मत को कोसते नजर आए। उनका कहना है कि अगर उनकी बच्ची को समय पर इलाज मिल जाता, तो वह बच सकती थी। इस घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
झांसी मेडिकल कॉलेज के सीएमएस सचिन महौर ने सफाई देते हुए कहा कि पिछले साल नवंबर में हुए अग्निकांड में एनआईसीयू वार्ड जल गया था और अब तक वह चालू नहीं हो पाया है। इस वजह से बच्ची को जिला अस्पताल रेफर किया गया था। उन्होंने बताया कि जब बच्ची जिला अस्पताल पहुंची, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।