झांसी न्यूज डेस्क: झांसी मेडिकल कॉलेज की मैट्रन नलिनी सूद को हाईस्कूल प्रमाणपत्र और सर्विस बुक में कूटरचना के आरोप के बाद हुए निलंबन से हाईकोर्ट ने राहत दी है। 15 दिन पहले उन्हें निलंबित किया गया था, लेकिन 29 मई को उनकी सेवानिवृत्ति के दिन ही कोर्ट ने उनके निलंबन पर रोक लगा दी। कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है, हालांकि विभागीय जांच जारी रहेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार की अदालत ने दिया है।
मामला 14 मई का है, जब चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने नलिनी को निलंबित कर दिया था। इसके बाद झांसी के सीएमओ ने नवाबाद थाने में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई। आरोप है कि नलिनी ने अपनी नियुक्ति के समय हाईस्कूल प्रमाणपत्र और सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि को 11 मई 1962 से बदलकर 11 मई 1965 करवा लिया, और इस बदलाव की सूचना विभाग को नहीं दी।
निलंबन के खिलाफ नलिनी ने हाईकोर्ट में अपील की। उनके वकील ने बताया कि सेवा पुस्तिका और हाईस्कूल प्रमाणपत्र में दर्ज जन्मतिथि समान है, इसलिए कूटरचना का आरोप गलत है। इस दलील पर कोर्ट ने निलंबन आदेश को अस्थायी रूप से रुकवा दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस रोक से विभागीय जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा और जांच जारी रहेगी।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि नलिनी को जांच में पूरी मदद करनी होगी। इससे पहले उन्हें नौकरी से जुड़े इस विवाद में अस्थायी राहत मिली है, लेकिन जांच के परिणाम के बाद ही अंतिम फैसला होगा।