झांसी न्यूज डेस्क: झांसी के बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में मंगलवार को थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी पहुंचे, जहां उन्होंने भारतीय सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाने वाली अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीकों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने मानव रहित विमान प्रणाली (USS) और लुटरिंग म्यूनिशंस प्रणाली की कार्यक्षमता को करीब से देखा।
जनरल द्विवेदी ने यहां देश में विकसित उन ड्रोनों का प्रदर्शन देखा, जिनका प्रयोग ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पहली बार युद्ध में किया गया था। आत्मघाती क्षमता से लैस इन लुटरिंग म्यूनिशंस ड्रोन की मदद से भारतीय सेना ने दुश्मन के कई सेक्टरों में एक साथ हमला किया था, जिससे विरोधी पक्ष को भारी नुकसान हुआ।
इस मौके पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय रक्षा कंपनियों द्वारा तैयार की गई तकनीकों का भी प्रदर्शन हुआ। इनका इस्तेमाल पहाड़, रेगिस्तान और जंगल जैसे विभिन्न इलाकों में सटीक हमलों के लिए किया जा सकता है। इन तकनीकों को भारतीय सेना की युद्धक रणनीति को और मजबूत करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
थल सेनाध्यक्ष ने इन स्वदेशी प्रणालियों की सराहना करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह एक अहम कदम है। उन्होंने भरोसा जताया कि ये तकनीकें आने वाले समय में भारत की रक्षा ताकत को और मजबूत करेंगी।