झांसी न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश के झांसी से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो किसी फिल्म की कहानी जैसा लगता है। इसमें थ्रिल, सस्पेंस और इमोशन का भरपूर मिश्रण है। मोंठ थाना क्षेत्र के बड़ापुरा कस्बे के रहने वाले सतीश ने डायल 112 पर फोन कर अपने बेटे धर्मेंद्र के अपहरण की सूचना दी। उन्होंने बताया कि उनका 32 वर्षीय बेटा सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए निकला था, और अज्ञात लोगों ने उसका अपहरण कर लिया। अपहरणकर्ताओं ने 5 लाख रुपये की फिरौती भी मांगी थी।
शिकायत मिलते ही झांसी पुलिस तुरंत हरकत में आई और अपहरण हुए व्यक्ति की तलाश शुरू कर दी। पुलिस ने सर्विलांस और स्वाट टीम सहित कई टीमें गठित कीं। खोजबीन के दौरान धर्मेंद्र की लोकेशन ट्रेस करते हुए पुलिस ने 24 घंटे से भी कम समय में उसे बांदा जिले के पास से सुरक्षित बरामद कर लिया। ऐसा लग रहा था कि पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल कर ली है, लेकिन असली कहानी तो यहां से शुरू हुई।
पुलिस ने जब धर्मेंद्र से पूछताछ की तो एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। धर्मेंद्र ने खुलासा किया कि उसका अपहरण हुआ ही नहीं था। दरअसल, उसने अपने ही फोन से अपहरण की झूठी सूचना देकर 5 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ शिवाजी नगर, झांसी में शिफ्ट होना चाहता था। इसके लिए उसने 2023 में एक मकान का डेढ़ लाख रुपये में एग्रीमेंट किया था, जो मार्च 2025 में खत्म होने वाला था।
एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार, मकान को खरीदने के लिए 5 लाख रुपये की जरूरत थी। धर्मेंद्र ने पैसे का इंतजाम करने के लिए अपने परिवार और भाई को गुमराह करते हुए यह नाटक रच दिया। उसने अपहरण की झूठी कहानी गढ़कर पुलिस और अपने परिजनों को भी धोखे में रखा। पुलिस की सतर्कता और तेज़ी से इस झूठ का पर्दाफाश हो गया।
एसपी ग्रामीण गोपीनाथ सोनी ने बताया कि इस मामले में पूछताछ जारी है और आगे की कार्रवाई की जा रही है। यह मामला एक सबक है कि झूठ और धोखे का सहारा लेने से समस्याएं हल नहीं होतीं, बल्कि और बढ़ जाती हैं। पुलिस की तत्परता ने इस नाटक का भंडाफोड़ कर दिया और सच्चाई सबके सामने लाई।