झांसी न्यूज डेस्क: ठाणे जिले का एक नाबालिग लड़का उस समय चर्चा में आ गया जब वह अकेला लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर एक्सप्रेस की स्लीपर कोच में रोता हुआ पाया गया। 14 अप्रैल की रात लगभग 10.30 बजे 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन को एक कॉल मिली, जिसमें झांसी रेलवे स्टेशन पर एक नाबालिग के अकेले होने की सूचना दी गई थी। चाइल्डलाइन की टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर लड़के को सुरक्षित हिरासत में लिया। वह नंगे पांव था और काफी घबराया हुआ नजर आया। पूछताछ में उसने बताया कि वह ठाणे के साई नगर इलाके से भागकर गोरखपुर या प्रतापगढ़ अपने दादा से मिलने जा रहा था।
लड़के की पहचान की कोशिशें अभी तक सफल नहीं हो पाई हैं। उसने अपनी मां का नाम रीतादेवी और पिता का नाम रोहित गौतम बताया, साथ ही यह भी बताया कि रोहित उसके सौतेले पिता हैं। हालांकि, वह अपने किसी भी परिजन का मोबाइल नंबर नहीं बता सका और उसके द्वारा बताए गए पते पर भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है क्योंकि वह इलाका एक झुग्गी बस्ती है। मुंबई पुलिस ने जानकारी जुटाने की कोशिश की लेकिन अब तक उसकी कोई गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज नहीं हुई है।
कुछ बयानों ने चाइल्डलाइन अधिकारियों को उलझन में डाल दिया है। लड़का कहता है कि वह ठाणे से ट्रेन में चढ़ा था, जबकि हकीकत ये है कि ट्रेन 20103 ठाणे स्टेशन पर रुकती ही नहीं। इसका मतलब है कि वह पहले ही लोकमान्य तिलक टर्मिनस तक पहुंच चुका था और वहीं से ट्रेन में सवार हुआ। यात्रियों ने उसे ट्रेन में रोते और भागते देखा था, जिसके बाद टिकट परीक्षक ने उसे कोच A-1 में बैठाया और झांसी तक ले जाकर स्टेशन अधीक्षक के हवाले किया। लड़के की मेडिकल जांच भी कराई गई है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
अब झांसी और गोरखपुर चाइल्डलाइन मिलकर बच्चे की पहचान और परिजनों का पता लगाने में जुटी हुई हैं। बच्चे की तस्वीर पूरे चाइल्ड हेल्पलाइन नेटवर्क में भेज दी गई है ताकि कोई सुराग मिल सके। गोरखपुर टीम उसके दादा को तलाशने में लगी है। लेकिन अगर 22 अप्रैल तक कोई जानकारी नहीं मिली, तो प्रशासन को उसे ललितपुर जिले के दैलवारा स्थित राजकीय बाल गृह में स्थानांतरित करना पड़ेगा। अधिकारियों ने लंबे समय तक बच्चे को ऐसे ही रखने पर चिंता भी जताई है।