झांसी न्यूज डेस्क: कैग की नई रिपोर्ट ने लोक निर्माण विभाग (PWD) की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट में झांसी मंडल में करोड़ों रुपये के अनियमित भुगतान सामने आए हैं। अभियंताओं ने नियम-कायदों को नजरअंदाज करते हुए ठेकेदारों को जरूरत से ज्यादा रकम दे दी। करीब 13 करोड़ रुपये का हिसाब ही अभियंता पेश नहीं कर पाए। इसके अलावा सड़क निर्माण के दौरान भी गड़बड़ियों का सिलसिला चला, जिसे कैग ने अपनी 250 पेज की विस्तृत रिपोर्ट में दर्ज किया।
जांच में सामने आया कि कई महत्वपूर्ण मार्गों के निर्माण में बिल-बाउचर की तुलना में कई गुना अधिक भुगतान किया गया। उदाहरण के तौर पर सिकंदरा-समथर दबोह मार्ग पर 5.10 करोड़ रुपये से ज्यादा और चिरगांव से भांडेर मार्ग पर 2.62 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान बिना उचित दस्तावेज़ के हुआ। इसी तरह मुराठा धमना मार्ग और बड़ागांव-भसनेह मार्ग पर भी अनियमित भुगतान दर्ज किया गया। कैग ने इसे गंभीर वित्तीय गड़बड़ी मानते हुए आपत्ति जताई।
शासन ने अपने बचाव में कहा कि किसी कार्य के लिए एक साल में ठेकेदार को उतना ही भुगतान किया जाता है, जितना आवंटन मिला हो। लेकिन कैग ने शासन का यह तर्क खारिज कर दिया और साफ किया कि यह नियमों का उल्लंघन है। खासतौर पर तब, जब ठेकेदार को बिना बाउचर और दस्तावेजों के पैसे दिए गए हों। रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि विभाग की वित्तीय पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा होता है।
इसके अलावा कैग ने ललितपुर में बिटुमिन की खरीद को लेकर भी गड़बड़ी पकड़ी। विभाग ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को करीब 2.88 करोड़ रुपये एडवांस में दे दिए और इसे खर्च के रूप में दिखा दिया, जबकि नियम के मुताबिक खरीद ठेकेदार को करनी चाहिए थी। शासन ने दावा किया कि भुगतान का समायोजन कर दिया गया है, लेकिन कैग इसके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। इस पूरे प्रकरण ने यह साबित कर दिया कि सड़क निर्माण के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी की गई।