महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की सुलग रही आग कुछ धीमी होती दिख रही है. आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे पाटिल ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है. उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और मंत्रियों के एक समूह ने गुरुवार को जारांगे से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया. साथ ही जारंग ने सरकार से इस मामले को दो महीने के भीतर सुलझाने को कहा है. उन्होंने कहा कि यह महाराष्ट्र सरकार के लिए अल्टीमेटम है और उसे दो महीने के भीतर इसका समाधान करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी लड़ाई खत्म नहीं हुई है और जब तक मराठा समुदाय के सभी लोगों को आरक्षण नहीं मिल जाता तब तक वह अपने घर में प्रवेश नहीं करेंगे.
मराठा आरक्षण का मुद्दा इस वक्त महाराष्ट्र में काफी गर्म है और इसका राज्य की राजनीति पर बड़ा असर पड़ सकता है. मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जारांगे पाटिल पहले भी 25 अक्टूबर को भूख हड़ताल पर बैठ चुके हैं. आपको बता दें कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सर्वदलीय बैठक बुलाई. जिसमें सभी दल मराठा आरक्षण के पक्ष में सहमत हुए और इसका समाधान निकालने पर सहमति जताई.
4 मंत्रियों ने जारांगे गांव जाकर मुलाकात की
अनशन पर बैठे जारंग ने एक नवंबर से पानी पीने से इनकार कर दिया था. इसके बाद एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने उनसे अंतरवाली में मुलाकात की. उन्होंने साफ कहा है कि मराठा आरक्षण पूरे राज्य में मिलना चाहिए. जारांगे से मिलने वालों में हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस संदीप शिंदे और जस्टिस एमजी गायकवाड़ भी उनके गांव में उनसे मिले. इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार के 4 मंत्रियों ने भी उनसे मुलाकात की और उनसे अनशन खत्म करने का अनुरोध किया.
सभी राज्यों की पार्टियां आरक्षण पर सहमत हैं
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें सभी दलों ने मराठा आरक्षण का समर्थन किया. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण रद्द कर दिया है, जिसके बाद पूरे राज्य में प्रदर्शन हो रहे हैं. विरोध प्रदर्शन कई हिस्सों में हिंसक हो गया और प्रदर्शनकारियों ने बीड में कुछ एनसीपी नेताओं के घरों में भी आग लगा दी। राज्य में सभी पार्टियां वोट बैंक को देखते हुए आरक्षण पर सहमति जता रही हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं.