दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के बीच हुई मुलाकात ने सभी का ध्यान अंतरिक्ष मिशनों और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की चुनौतियों की ओर केंद्रित कर दिया। दोनों के बीच हुई चर्चा में शुभांशु शुक्ला ने स्पेस स्टेशन पर अपनी यात्रा के दौरान आने वाली कठिनाइयों और अनुभवों को साझा किया। इस बातचीत में खास तौर पर अंतरिक्ष स्टेशन पर भोजन की समस्या और मिशन से जुड़ी तकनीकी पहलुओं पर जोर दिया गया।
अंतरिक्ष स्टेशन पर सबसे बड़ी चुनौती: भोजन
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने पीएम मोदी को बताया कि अंतरिक्ष स्टेशन पर सबसे बड़ी समस्या भोजन को लेकर होती है। उन्होंने कहा कि वहां जगह बहुत सीमित होती है, इसलिए कम जगह में ज्यादा से ज्यादा कैलोरी और पोषक तत्वों को पैक करना चुनौतीपूर्ण होता है। इसके लिए वैज्ञानिक और तकनीकी स्तर पर कई प्रयोग किए जा रहे हैं। शुभांशु ने बताया कि स्पेस स्टेशन पर कुछ खाद्य पदार्थों को पानी डालकर छोड़ने पर वे लगभग 8 दिनों में अंकुरित होने लगते हैं, जो भोजन की ताजगी और पौष्टिकता बनाए रखने में मदद करता है। ये नई तकनीकें आने वाले मिशनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं ताकि अंतरिक्ष यात्रियों को पर्याप्त और सुरक्षित भोजन उपलब्ध हो सके।
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर वैश्विक उत्साह
प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु से पूछा कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में भारतीय अंतरिक्ष यात्री को देखकर अन्य देशों के प्रतिनिधियों और अंतरिक्ष यात्रियों का क्या रिएक्शन था। शुभांशु ने खुशी जताई कि जहां भी वे गए, सभी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने बताया कि वहां मौजूद सभी लोग भारत की अंतरिक्ष तकनीक में हो रहे प्रगति से अवगत थे और भारतीय गगनयान मिशन के बारे में उत्सुकता से पूछताछ कर रहे थे। इससे पता चलता है कि भारत की अंतरिक्ष योग्यता और महत्व विश्व स्तर पर तेजी से मान्यता प्राप्त कर रही है।
पीएम मोदी का होमवर्क और शुभांशु की प्रतिक्रिया
मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु शुक्ला से कहा कि उन्होंने जो होमवर्क दिया था, उसके बारे में अपडेट दें। शुभांशु ने हंसते हुए कहा कि होमवर्क की प्रगति अच्छी चल रही है और लोग मजाक में कहते हैं कि ‘तुम्हारे प्रधानमंत्री ने तुम्हें होमवर्क दिया है।’ यह हल्का-फुल्का संवाद दिखाता है कि मिशन के प्रति प्रधानमंत्री की गंभीरता और शुभांशु की प्रतिबद्धता दोनों ही कितनी मजबूत हैं।
आगे की योजनाएं और उम्मीदें
शुभांशु शुक्ला की यह मुलाकात न केवल उनके अनुभवों को साझा करने का मौका थी, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रगति और भविष्य के मिशनों की दिशा को भी दर्शाती है। ISRO ने गगनयान जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों पर भारी संसाधन खर्च किए हैं, और ऐसे मिशन भारत को अंतरिक्ष की वैश्विक मानचित्र पर और ऊंचा ले जाने में मदद करेंगे। शुभांशु का अनुभव और प्रधानमंत्री के साथ उनकी बातचीत इस दिशा में भारत के आत्मविश्वास और क्षमता का परिचायक है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की यह बैठक भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में हो रही प्रगति और चुनौतियों को समझने का एक महत्वपूर्ण कदम है। अंतरिक्ष में सीमित संसाधनों के बावजूद, भारत ने अपने मिशनों को सफल बनाने के लिए तकनीकी नवाचार और अनुसंधान में निवेश बढ़ाया है। शुभांशु के अनुभव और उनकी बातचीत से स्पष्ट होता है कि भारत न केवल अंतरिक्ष में अपनी जगह बना रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को भी मजबूत कर रहा है। आने वाले वर्षों में भारत के स्पेस मिशन से दुनिया की निगाहें और भी अधिक जुड़ेंगी।