देश में 1 अप्रैल से 17 दिसंबर (वित्तीय वर्ष 2024-25) तक टैक्स कलेक्शन के आंकड़े बेहद दिलचस्प हैं. दिलचस्प बात यह है कि व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) का संग्रह कॉर्पोरेट आयकर (सीआईटी) से अधिक रहा है और यह अपेक्षाकृत दुर्लभ है।
दोनों में इतना अंतर
वित्त मंत्रालय की ओर से हाल ही में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1 अप्रैल से 17 दिसंबर की अवधि के लिए कॉर्पोरेट टैक्स का शुद्ध संग्रह 7,42,607 करोड़ रुपये रहा। जबकि व्यक्तिगत आयकर संग्रह का आंकड़ा 7,97,080 करोड़ रुपये रहा. दोनों कलेक्शन को विस्तार से जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि व्यक्तिगत आयकर कलेक्शन में बढ़ोतरी के संकेत क्या हैं?
व्यक्तिगत आयकर संग्रह का कॉर्पोरेट आयकर से अधिक होना न केवल अर्थव्यवस्था के लिहाज से अच्छा है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में व्यक्तिगत आयकर की भागीदारी बढ़ाने के सरकार के प्रयासों को भी दर्शाता है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात के रूप में व्यक्तिगत आयकर 2014-15 में 2.11% था, जो 2021-22 में बढ़कर 2.94% हो गया। अब जो आंकड़े सामने आए हैं, वे इसमें और बढ़ोतरी की तस्वीर पेश कर रहे हैं.
प्रयासों का परिणाम
निर्मला सीतारमण के नेतृत्व वाला वित्त मंत्रालय लगातार देश में करदाताओं का आधार बढ़ाने पर जोर दे रहा है। सरकार ने अपील और कार्रवाई दोनों के माध्यम से लोगों को आयकर के प्रति अधिक गंभीर बनाया है। वर्तमान व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) आंकड़े सरकारी प्रयासों का परिणाम हैं। इसके साथ ही यह लोगों की बेहतर वित्तीय सेहत का भी संकेत देता है। लोग अब पहले से ज्यादा कमाने लगे हैं इसलिए टैक्स कलेक्शन में भी उनकी भागीदारी बढ़ गई है.
ऐसा है रिकॉर्ड
वित्त वर्ष 2000 के बाद से यह चौथी बार है कि व्यक्तिगत आयकर संग्रह कंपनियों से एकत्र किए गए कॉर्पोरेट कर से अधिक हो गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21, 2022-23, 2023-24 और अब 2024-25 में PIT का आंकड़ा CIT से ज्यादा है. 1 अप्रैल से 17 दिसंबर तक सकल कॉर्पोरेट कर संग्रह 9,24,693 करोड़ रुपये रहा। इसमें से 1,82,086 करोड़ रुपये रिफंड के बाद शुद्ध संग्रह 7,42,607 करोड़ रुपये रहा.
रिफंड के बाद इतना कुछ मिला
इस दौरान व्यक्तिगत आयकर का सकल संग्रह 9,53,871 करोड़ रुपये रहा, जिसमें 1,56,972 करोड़ रुपये के रिफंड के बाद 7,97,080 करोड़ रुपये का शुद्ध संग्रह हुआ। कॉरपोरेट टैक्स वह टैक्स है जो सरकार कंपनियों की आय पर लगाती है। जबकि पर्सनल इनकम टैक्स में आम जनता से उनकी आय के अनुसार टैक्स वसूला जाता है। ऐसे में पर्सनल इनकम टैक्स (PIT) में बढ़ोतरी भी लोगों की आर्थिक खुशहाली का संकेत है.