आपने देखा होगा कि अगर काली बिल्ली सामने से गुजर जाए तो कई लोग रुक जाते हैं | किसी और के रास्ता पार करने के बाद खुद निकलते हैं | जिन लोगों को जाने की जल्दी होती है वो बिल्ली का रास्ता काटने के बाद अपने जूतों को आगे फेंकते हैं , या फिर रास्ता बदल लेते हैं | वहीं कई लोग रास्ता पार करने से पहले थूकते हैं और भगवान का नाम लेकर आगे बढ़ जाते हैं | काली बिल्ली का रास्ता काटना अशुभ माना जाता है |
यह मान्यता सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पश्चिम में भी है। इस अंधविश्वास की उत्पत्ति मिस्र के लोगों से हुई है जो इस विश्वास के साथ थे कि काली बिल्लियाँ दुष्ट प्राणी थीं और वे बुरी किस्मत लाती हैं। भारत में काला रंग ज्यादातर भगवान शनि से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यदि एक काली बिल्ली आपके रास्ते को पार करती है तो आपको किसी और को आपके जाने से पहले गुजरने देना चाहिए। यह बेहद स्वार्थी लगता है | लेकिन मिथक के अनुसार इस तरह पहले व्यक्ति के पास सभी बुरे भाग्य होंगे और आप बच जाएंगे
प्राचीन समय में जब लोग देर रात बैलगाड़ियों से यात्रा करते थे तो गीदड़ और हाइना जैसी बड़ी बिल्लियों के आने पर गाय और घोड़े रुक जाते थे। इस प्रकार यात्री थोड़ी देर के लिए अपनी यात्रा को रोक देते थे ताकि घोड़े एक सांस ले सकें। इन यात्रियों ने इन कहानियों को दूसरों के साथ साझा किया और परंपरा बन गई की काली बिल्ली के रस्ते काटने पर रुक जाना चाहिए | परन्तु याद रखिए यह इक्कीसवी सदी है और एक जानवर को उसके रंग या इंसानो के बनाए मनघढन्त कहानियो के वजह से उसके साथ दूर व्यहार नहीं करना चाहिए और सबको एक समान प्रेम करना चाहिए|
Posted On:Friday, April 23, 2021